वो नन्ही कली एक आई है जबसे
महकने लगा है चमन धीरे-धीरे
भंवर गुनगुनाते, हवा नाचती है
हुये सब खुशी में मगन धीरे-धीरे
हर इक बात उसकी तो जादू भरी है
उतर आई धरती पे कोई परी है
जमीं उसकी आहट पे खुशियां बिछाती
कदम चूमता है गगन धीरे-धीरे
वो खुद है रुबाई, वो खुद ही गज़ल है
सरोवर में खिलता हुआ इक कंवल है
उसे चांदनी रोज लोरी सुनाती
है झूला झुलाती पवन धीरे धीरे
सिखायेगी सबको नये गीत गाना
चलेगा उसीके ये पीछे जमाना
वो इक दिन सितारों से ऊपर उठेगी
ये मन में लगी है लगन धीरे-धीरे
22 comments:
जय हो...
बहुत बहुय्त बधाई..अब आप पूरे हुए :)
खबर सुन आनन्द आ गया...अनेकों शुभाषिश बच्ची को!!
क्या नाम रखा?
वो खुद है रुबाई, वो खुद ही गज़ल है
सरोवर में खिलता हुआ इक कंवल है
उसे चांदनी रोज लोरी सुनाती
है झूला झुलाती पवन धीरे धीरे
वाह! बहुत सुन्दर! इतनी सुन्दर कविता तो किसी परी पर ही रची जा सकती है ।बेटियाँ परी जैसी होती हैं तभी तो इतना प्यार लेती हैं।बहुत बहुत बधाई और नन्हीं परी को आशीर्वाद हमेशा फूलों की तरह हंसती मुस्कुराती रहे।
वाह बहुत सुंदर रचना है .. आपलोगों को बधाई और बिटिया रानी को आशीर्वाद !!
उस खुद की कविता के लिए जो आपने कविता लिखी है वो भी उसी की जैसी है , सबसे पहले तो बहुत बहुत बढ़ाई और मुबारकबाद , उस नन्ही परी के लिए , उस आदि शक्ति के लिए उस सरस्वती के लिए ... जिसके आते ही आपने जो कविता कही है वो कमाल की बात कही है आपने , कितना मधुर है यह कविता , उस नन्ही परी के आगमन पे दिल से ढेरो बधाई...
उसकी कुछ तस्वीरें भी लगायें ...
अर्श
बेहद खूबसूरत व उम्दा रचना । बधाई आपको
जितनी सुंदर बेटियां होती हैं उतनी ही सुंदर कविता है । बिटिया का स्वागत करने का इससे अच्छा कोई तरीका हो ही नहीं सकता । मैंने भी पहली बिटिया का जनम होने पर एक कहानी लिखी थी 'और परी आ गई' कहानी नवभारत समाचार पत्र में प्रकाशित हुई और उसी के आधार पर बिटिया का नाम पड़ा परी ।
नन्हीं का फोटो बिना फ्लैश वाले कैमरे से खींचना, नवजात बच्चों की आंखें कैमरे की फ्लैश से कमजोर हो जाती हैं ।
बधाई बधाई बधाई...बेटी के आगमन की बधाई...दुनिया के सबसे पाक रिश्तों में बाप-बेटी का रिश्ता सबसे अव्वल है...ये ही वो रिश्ता है जिसमें एक दूसरे को सिर्फ देता ही है लेता कुछ नहीं...जिसमें कोई स्वार्थ नहीं होता... ये रिश्ता अलौकिक है...आप की इस बहुत सुन्दर रचना की तरह,बिटिया इस से भी सुन्दर और सुशील हो ये ही कामना करता हूँ...फोटो जरूर दिखईयेगा...
नीरज
बधाई रवि कांत जी ..... बहुत बहुत बधाई ..... नन्ही परी का स्वागत बहुत सुंदरता से किया है आपने ......
ईश्वर की सुंदरतम कृति आपके आंगन में अवतरित हुई है. बहुत बधाई और शुभकामनाएं. बिटिया को अथाह स्नेह.
रामराम.
बिटिया को प्यार और आशीर्वाद!आपको बधाई!
वो नन्ही कली एक आई है जबसे
महकने लगा है चमन धीरे-धीरे
भंवर गुनगुनाते, हवा नाचती है
हुये सब खुशी में मगन धीरे-धीरे
अजी एक सुंदर सा फ़ोटू भी चिपका देते ना, आप सब को बहुत बहुत बधाई इस बिटिया के आगमन की, ओर बिटिया को बहुत बहुत प्यार
आप तथा आपके पूरे परिवार को हार्दिक बधाई
कविता बहुत पसन्द आई
वीनस
नमस्ते रवि जी,
नन्ही कली के आगमन पे आपको और भाभी जी को बहुत बहुत बधाई.
कविता का हर बंद खिल उठा है, जल्द ही उस परी से हम सबसे रूबरू करवाइए.
नव्या भतीजी के आगमन की प्रतीक्षा कब से थी.....! पिता और माँ दोनो के गुणों को लेकर वो हम सब का नाम रोशन करे ऐसी प्रार्थना उस परमात्मा से ...!
बहुत बहुत बधाई। स्नेहसिक्त मन से लिखी इस कविता को आपकी पुत्री चरितार्थ करे ऍसी मनोकामना है...
अहा! मुबारक हो रवि....
भवानी आयी हैं घर में!
इस संसार को वैसे भी बेटियों की बहुत जरुरत है।
खूब-खूब सारी शुभकामनायें नये-नवेले माता-पिता को और छुटकी परी को ढ़ेर सारा लाड़-दुलार। घर का माहौल अंदाजा लगा सकता हूं मैं। अभी दो साल पहले की खुद अपने घर की तस्वीर उभर कर सामने आ गयी है। और अभी-अभी फोन पर तुम्हारी आवाज एक गर्वोन्मुक्त पिता की आवाज थी...
नाम जब चुन लिया जाये छुटकी का, घोषणा कर देना ब्लौग पे।
एक बार फिर से बधाई!
अरे हां, गीत की भी तारीफ़ करूं क्या?
वो खुद है रुबाई, वो खुद ही गज़ल है
सरोवर में खिलता हुआ इक कंवल है
बहुत बधाई पांडे जी!
बधाई प्यारे.. बहुत बधाई...
Maa Durga ji ke
param paavan aasheesh ke aagman pr
badhaaee....
aapki kavitaa bhi mn ko dulaarti hai..!!
बधाई बधाई बधाई............
हर इक बात उसकी तो जादू भरी है
उतर आई धरती पे कोई परी है
जमीं उसकी आहट पे खुशियां बिछाती
कदम चूमता है गगन धीरे-धीरे
ख़ूबसूरत नाजुक पंक्तियाँ है. सुन्दर कविता है.
बहुत बहुत बधाई!
सुलभ
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