Monday, December 28, 2009

मुझको याद तुम्हारी आती

मित्रों, नमस्कार!
करीब महीने भर बाद वापस आया हूं और संयोग ऐसा है कि एक ओर इस साल को विदाई देनी है तो दूसरी ओर नये का स्वागत भी करना है। इस अवसर पर एक गीत पढ़ें और अपनी राय से अवगत करायें-



ये तो हुई पुराने की विदाई और नये के स्वागत की बात पर अगर पूरे वर्ष को देखूं तो मेरे लिये हर्ष और विषाद दोनों से भरा रहा। और कई बार तो ऐसा हुआ कि दोनों इकट्ठे एक ही क्षण में आये और सही मायने में कहूं तो मुझे किंकर्त्तव्यविमूढ़ करने में कोई कसर न छोड़ा। हां, इस सफ़र में गुरूजनों और प्रियजनों का साथ जरूर संबल देता रहा, हर मोड़ पर। अगर हिंदी की बात करूं तो यथाशक्ति जो मुझसे हो सकता था, प्रयत्न किया, जैसे-



ऐसी कुछ और चीजें भी शामिल रहीं, उनके बारे में फ़िर कभी बात करूंगा। फ़िलहाल मुझे आज्ञा दीजिये, नये साल में गज़ल के साथ फ़िर मिलता हूं।

नोट: सरसों वाली फोटो http:/यहां से और पीपल वाली यहां से ली गई है तथा संबंधित लोगों को सूचित भी कर दिया है। आपत्ति की स्थिति में हटा ली जायेगी।

19 comments:

"अर्श" said...

रवि भाई गीत पढ़ कर मजा आगया , इसे पढ़ किसी की याद आयी मगर नाम याद नहीं कर पाया , मगर एक बात कहूँ तो पढ़ते वख्त अपने गाँव में था कुएं के किनारे पर बने चबूतरे पर , जिसके बगल पीपल का पेड़ और उससे सटे तुलसी का पौधा , शुक्रिया करके यह एहसान नहीं चुका सकता ... बधाई ... संस्थान के तरफ से द्वितीय स्थान प्राप्त करने के लिए , सीना चुदा हो गया


आपका
अर्श

aarya said...

सादर वन्दे
मनमोहक रचना
रत्नेश त्रिपाठी

विनोद कुमार पांडेय said...

रविकान्त जी कविता बढ़िया लगी पहले इसके लिए धन्यवाद..
और बधाई इस बात के लिए जी आपको पुरस्कृत किया गया..नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...

राज भाटिय़ा said...

आप की यह कविता बहुत ही सुंदर लगी धन्यवाद

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर गीत है...आनन्द आया हमेशा की तरह आपको पढ़कर.


यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

आपका साधुवाद!!

नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी

वाणी गीत said...

मन के तुलसी चौबारे पर सुहागिन जैसे कोई संध्या दीप जलाती ...
शब्दों की पवित्रता ने बाँध लिया ...
बहुत सुंदर ...

पुरस्कार प्राप्ति की बहुत बधाई ...!!

Manish Kumar said...

इस सरल सरस रचना ने मन को मोह लिया। नए साल में आपकी रचना शक्ति इसी तरह पल्लवित होती रहे इन्हीं शुभकामनाओं के साथ!

दिगम्बर नासवा said...

रविकान्त जी बधाई बहुत अच्छी रचना पढ़वाई है आपने .... शुक्रिया ........
आपको नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ...........

daanish said...

पावस से तरुनाई पा कर
मुझको अपने पास बुला कर
बिठा गोद में जब जब धरती
माथे केसर तिलक लगाती
मुझको याद तुम्हारी आती

बहुत मधुर और प्यारा गीत पढने को दिया आपने तो
सच ,,आनंद स्वयं दिल के द्वार खटखटाने लगा है
आपकी साहित्य-साधना सराहनीय है
और अनुकरणीय भी . . . .
अभिवादन

पंकज सुबीर said...

बधाई हो उपलब्धि के लिये । और हां बहुत ही सुंदर गीत है । किन्‍तु बस ये आपत्ति है कि शादी के एक साल होने को है एक सुंदर बच्‍ची के पिता बन गये हो फिर से किसकी याद सता रही है । अब तो भूल भी जाओ उन यादों को । सुंदर गीत औश्र सुंदर शब्‍द बधाई ।

Himanshu Pandey said...

गीत का क्या कहूँ | सदैव की तरह श्लाघ्य | शब्द की सुंदरता खूब लुभाती है आपके यहाँ | आभार |

कंचन सिंह चौहान said...

लयबद्धता और शब्द चयन आपकी विशेष विशेषता हैं..!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

मधुर गीत, सुंदर चित्र, मन नववर्ष की के लिए हरा-भरा हो गया।
आपको नववर्ष मंगलमय हो।

महेन्द्र मिश्र said...

नववर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामना - महेन्द्र मिश्र

गौतम राजऋषि said...

गीत तो सुंदर है ही, लेकिन सारा आकर्षण तो तो ऊपर वो नन्हीं "भवानी" चुरा ले जा रही हैं।

बिटिया को खूब-खूब सारा दुलार-मलार। काव्य-पाठ वाला प्रमाण-पत्र...अय-हय, क्या बात है। मुबारक हो! बहुत-बहुत मुबारक हो!!!

वन्दना अवस्थी दुबे said...

सुन्दर गीत. बधाई भी लें. नववर्ष की शुभकामनायें भी.

शरद कोकास said...

प्रेम को प्रकृति के बिम्ब में द्रश्यमान करता हुआ बहुत सुन्दर गीत है यह आपका ।

Creative Manch said...

बहुत सुन्दर गीत
अच्छा लगा पढ़कर

शुभ कामनाएं


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श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता
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क्रियेटिव मंच

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

यह सुन्दर गीत पढ़ मन आनंदित हुआ है.