मैं जिन्हे कहता था अपना महफ़िलों में शान से
दोस्त वो ही मुश्किलों में बन गये अन्जान से
कौन कहता है कि डरकर खींच लूंगा पांव मैं
ले के कश्ती चल पड़ा हूं कह दो ये तूफान से
लीक पर चलना मिरी फ़ितरत में है शामिल नहीं
जंग जारी है मिरी अल्लाह से, भगवान से
कौन करता याद बिस्मिल और भगत को आजकल
हो गये मेले शहीदों के सभी वीरान से
उसको काग़ज़ और क़लम की क्या ज़रूरत है भला
वो मिरे दिल में गज़ल लिखता है बस मुस्कान से
दर्द से बेहाल जनता द्वार पर कब से खड़ी
किन्तु फुरसत है कहां राजा को नाच और गान से
दोस्त वो ही मुश्किलों में बन गये अन्जान से
कौन कहता है कि डरकर खींच लूंगा पांव मैं
ले के कश्ती चल पड़ा हूं कह दो ये तूफान से
लीक पर चलना मिरी फ़ितरत में है शामिल नहीं
जंग जारी है मिरी अल्लाह से, भगवान से
कौन करता याद बिस्मिल और भगत को आजकल
हो गये मेले शहीदों के सभी वीरान से
उसको काग़ज़ और क़लम की क्या ज़रूरत है भला
वो मिरे दिल में गज़ल लिखता है बस मुस्कान से
दर्द से बेहाल जनता द्वार पर कब से खड़ी
किन्तु फुरसत है कहां राजा को नाच और गान से
15 comments:
लीक पर चलना मिरी फ़ितरत में है शामिल नहीं
जंग जारी है मिरी अल्लाह से, भगवान से
बहुत सुन्दर यह शेर मैंने रख लिया आपका ..:) बहुत बढ़िया लगी आपकी यह गजल
मैं जिन्हे कहता था अपना महफ़िलों में शान से
दोस्त वो ही मुश्किलों में बन गये अन्जान से
कौन कहता है कि डरकर खींच लूंगा पांव मैं
ले के कश्ती चल पड़ा हूं कह दो ये तूफान से
bahut achchhe sher aaye hain badhaaee
क्या बात है गुरु भाई क्या खूब ग़ज़ल कही है आपने वेसे सच कहूँ तो मैं इस ग़ज़ल का इंतज़ार कर ही रहा था ...
लीक पर चलना मिरी फ़ितरत में है शामिल नहीं
जंग जारी है मिरी अल्लाह से, भगवान से..
पूरी ग़ज़ल ही मुकम्मल है बहोत ही खूबसूरती से आपने हक़ अदा किया है बहोत बहोत बधाई ...
अर्श
bahut hi lik se hatake ke wichar hai
bhagawan aapako lik se hatkar chalane ki taakat de ........achchhi baate kahi hai aapane ......ek achchhi rachcna
अभी-अभी तुम्हारा साक्षात्कार पढ़ कर आ रहा हूँ।
गज़ब का था...भूत वाली बात पे मैं यकीन करता हूँ।
और ग़ज़ल तो माशल्लाह है....उस अल्लाह से, भगवान से वाले शेर के तो हम पहले से ही दीवाने हैं। मतला भी अच्छा बन पड़ा है...
बधाई !
बहुत सुंदर गजल लिखी आप ने
धन्यवाद
बहुत बढिया गजल !!
कौन करता याद बिस्मिल और भगत को आजकल
हो गये मेले शहीदों के सभी वीरान से
उसको काग़ज़ और क़लम की क्या ज़रूरत है भला
वो मिरे दिल में गज़ल लिखता है बस मुस्कान से
waah bahut hi lajawab.
हर लिहाज से खूबसूरत गजल
लीक पर चलना मिरी फ़ितरत में है शामिल नहीं
जंग जारी है मिरी अल्लाह से, भगवान से
इसको पढ़ कर तो दिल वाह वाह हो जाता है
रवि भाई मक्ता पढने में कुछ अटक रहा है
वीनस केसरी
लीक पर चलना मिरी फ़ितरत में है शामिल नहीं
जंग जारी है मिरी अल्लाह से, भगवान से
--जबरदस्त भाई!! बहुत गज़ब!
रवि वीनस ने एक प्रश्न उठाया है कि किन्तु फुरसत 2122 है कहां रा 2122 जा को नाच और ( इसका वजन किस प्रकार से 2122 किया जाऐगा ) गान से 212 । नाच का वजन है 21 और का वजन है 21 तो किस प्रकार से हम इनको 22 के स्थान पर ले सकते हैं । इसको स्पष्ट करने के लिये पुरानी कक्षाओं का सहारा लेना होगा ।
उसको काग़ज़ और क़लम की क्या ज़रूरत है भला
वो मिरे दिल में गज़ल लिखता है बस मुस्कान से
दर्द से बेहाल जनता द्वार पर कब से खड़ी
किन्तु फुरसत है कहां राजा को नाच और गान से
उम्दा
लीक पर चलना मिरी फ़ितरत में है शामिल नहीं
जंग जारी है मिरी अल्लाह से, भगवान से
कौन करता याद बिस्मिल और भगत को आजकल
हो गये मेले शहीदों के सभी वीरान से
उसको काग़ज़ और क़लम की क्या ज़रूरत है भला
वो मिरे दिल में गज़ल लिखता है बस मुस्कान से
ये तीनो ही शेर बेमिसाल रविकांत जी...! आप की लेखनी की कायल हूँ और रोज होती हूँ..!
उसको काग़ज़ और क़लम की क्या ज़रूरत है भला
वो मिरे दिल में गज़ल लिखता है बस मुस्कान से
ये शेर खास तौर पर पसंद आया !
लीक पर चलना मिरी फ़ितरत में है शामिल नहीं
जंग जारी है मिरी अल्लाह से, भगवान से
वाह बहुत खूबसूरत रचना. शुभकामनाएं.
रामराम.
Post a Comment