Wednesday, January 20, 2010

वसंत पंचमी पर नमन मां शारदे को एक तोटक के साथ

आप सबको वसंत पंचमी की अशेष शुभकामनायें। वसंत पंचमी मेरे लिये इसलिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मैंने विद्यारंभ इसी दिन से प्रारंभ किया था। मां के चरणों में एक तोटक रखता हूं। तोटक ठीक से पढा जाये तो अत्यंत कर्णप्रिय होता है। और आपको पता ही होगा कि तोटकाचार्य का तो नाम ही उनके प्रसिद्ध तोटक के आधार पर हुआ था, जिसने आचार्य शंकर को काफ़ी प्रभावित किया था। तोटक से परिचित होने के लिये नीचे के वीडियो में "जय राम सदा सुखधाम हरे। रघुनायक सायक चाप धरे ॥" को सुनें-



या फिर लता जी के स्वर में " जय राम रमा रमनं शमनं" सुनें-

।youtube.com/v/ppi6u8VwFC0&hl=en_US&fs=1&">

तो मित्रों, ये तो रही तोटक की बात। आइये अब इस तोटक को पढ़िये और बताइये मेरी कोशिश कैसी रही-

जग का सुख-वैभव-सार नहीं
अथवा धन-राशि अपार नहीं

मत दो यश का वरदान मुझे

जननी! मत दो पद, मान मुझे


इतनी बस मातु कृपा करना
मन के सब पाप सदा हरना

मुख में शुभ-शब्द निवास करे

उर में नित ज्ञान प्रकाश करे


परकारज प्राण भले निकले
पग सत्पथ से न कभी विचले

हिय में निज भक्ति-सुधा भर दो

अयि देवि! मुझे इतना वर दो


14 comments:

संगीता पुरी said...

अच्‍छी पोस्‍ट .. वसंत पंचमी की शुभकामनाएं !!

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया, बेहतरीन.

बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ.

Himanshu Pandey said...

नये ढंग की प्रस्तुति । दोनों वीडियो अच्छे रहे ।
और आपका तोटक तो लाजवाब !

सुन्दर प्रार्थना-गीत । आभार ।

ताऊ रामपुरिया said...

सुंदर प्रार्थना, शुभकामनाएं.

रामराम.

संजीव गौतम said...

vasant parv ki anant shubhkaamnaaen. trotak ka nirvaah aur bhav donon khoobsoorat hain.

कंचन सिंह चौहान said...

मुख में शुभ-शब्द निवास करे
उर में नित ज्ञान प्रकाश करे

परकारज प्राण भले निकले
पग सत्पथ से न कभी विचले
हिय में निज भक्ति-सुधा भर दो
अयि देवि! मुझे इतना वर दो

ise to subah ki prarthana me shamil kiya jaa skat hai...!!

दिगम्बर नासवा said...

इतनी बस मातु कृपा करना
मन के सब पाप सदा हरना
मुख में शुभ-शब्द निवास करे
उर में नित ज्ञान प्रकाश करे ..

सुंदर प्रार्थना ....... आपको वसंत पंचमी की बहुत बहुत शुभकामनाएँ .........

Pushpendra Singh "Pushp" said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति
बहुत बहुत आभार .............

daanish said...

aapki rachnaa ko
aapki lekhanee ko
aur
aapko
naman .

राज भाटिय़ा said...

अति सुंदर भजन लगे दोनो, ओर यह तोटक क्या है हमे नही पता, क्या आप बतायेगे?क्योकि बहुत सी चीजे हम भुल से गये है
बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ.

गौतम राजऋषि said...

तोहट...अब तुम्हें भी गुरु बनाना पड़ेगा मुझे।

Ankit said...

तोटक अच्छा है,
"इतनी बस मातु कृपा करना
मन के सब पाप सदा हरना
मुख में शुभ-शब्द निवास करे
उर में नित ज्ञान प्रकाश करे "
के तो क्या कहने..................

नीरज गोस्वामी said...

रवि सच में जब माँ सरस्वती स्वयं कलम में बिराजती हैं तो ऐसी ही रचनाएँ जन्म लेती हैं...क्या कहूँ...अभिभूत हूँ...लिखते रहो...खुश कर दिया आपने...
नीरज

"अर्श" said...

कुछ भी कह्पाने के लायक नहीं हूँ... तोटक पर... आपकी लेखनी .. एक गहरी सांस ले लेता हूँ इस बात पर ... :):)

अर्श