बाज लगे चिड़ियों से डरने
फूंका मंतर जादूगर ने
सच से कितना प्यार है उसको
समझाया उसके पत्थर ने
ढूंढ रहे हल ताबीजों में
अक्ल गई क्या चारा चरने
बाबूजी की उम्र घटा दी
रोजी-रोटी के चक्कर ने
पाप बढ़ा जब हद से ज्यादा
तब फूंकी लंका वानर ने
धरती ने जब ज़िद ठानी है
मानी हैं बातें अंबर ने
ज़हर भरा है यमुना-जल में
डेरा डाला फ़िर विषधर ने
बांट दिया है इन्सानों को
मंदिर, मस्ज़िद, गिरिजाघर ने
कौन उठाये अब गोवर्धन
धमकाया फ़िर है इंदर ने
रिश्वत से इंकार किया तो
बरसों लटकाया दफ्तर ने
धर्म बिका जब बाज़ारों में
पीट लिया माथा ईश्वर ने
15 comments:
हमेशा की तरह बेहतरीन ग़जल लिखी है आपने। आपकी ग़जलों सच्चाईयाँ छिपी होती है।
बाबूजी की उम्र घटा दी
रोजी-रोटी के चक्कर ने
बहुत खूब।
बाज लगे चिड़ियों से डरने
फूंका मंतर जादूगर ने
-बहुत बढ़िया. बेहतरीन गज़ल! अब नियमित हो जायें.
बेहद खूबसूरत गजल ! धन्यवाद !
तीसरा शेर जरा फिर से देख लें !
ढूंढ रहे हल ताबीजों में
अक्ल गई क्या चारा चरने
बाबूजी की उम्र घटा दी
रोजी-रोटी के चक्कर ने
धर्म बिका जब बाज़ारों में
पीट लिया माथा ईश्वर ने
बहुत उम्दा ....वाह ..वाह
बेहतरीन ग़जल
बहुत लाजवाब रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत बढ़िया. बेहतरीन गज़ल!
बहुत खूब।
www.cmgupta.blogspot.com
रविकांत जी भावुकता भरी रचना बधाई
छोटी बह'र की ग़ज़ल भारी पढ़ गयी मियाँ , क्या खूब चुन चुन के अश'आर निकाले हैं आपने ऊपर मतला खुद कहर बरपा रहा है किस शे'र पे खडा हो कर दाद ना दूँ सोच भी नहीं सकता बिलेलान होकर खूब दाद कुबुलें ... गौतम भाई ठीक हो रहे है बात हुई है मेरी उनसे ... अल्लाह मिया जल्द से जल्द दुरुस्तगी बख्शे .. आमीन
अर्श
बहुत सुंदर रचना
धन्यवाद
अच्छी और सच्ची ग़ज़ल । बाबूजी वाला शेर तो ग़जब का है । एक अच्छी रचना के लिये बधाई ।
बाज लगे चिड़ियों से डरने
फूंका मंतर जादूगर ने
सच से कितना प्यार है उसको
समझाया उसके पत्थर ने
बहुत प्यारे शेर आये हैं रवि भाई. खूब लिखो यूं ही लिखो.
धर्म बिका जब बाज़ारों में
पीट लिया माथा ईश्वर ने
..बहुत बहुत सुन्दर रचना....हर शेर सुन्दर,लाजवाब !!!
सत्य की अलग जगाती हुई शानदार गजल।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
छोटी बहर में कयामत ढ़ाते अशआर....बाबूजी वाला शेर तो अप्रतिम है...और काफ़िये के रूप में "इंदर" के इस्तेमाल ने अचंभित कर दिया, रवि।
बहुत खूब!!!
धरती ने जब ज़िद ठानी है
मानी हैं बातें अंबर ने
ज़हर भरा है यमुना-जल में
डेरा डाला फ़िर विषधर ने
bahut pasand aye ye sher
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