(१)
खेत-खेत फैल गये, खर-पतवार अब
कितना भी काटो पर, फ़िर-फ़िर आते हैं
अपना ठिकाना नहीं, लेकिन दूसरों का वो
भावी और भूत सब, पल में बताते हैं
फ़िरते लगाये घात, गली-गली चौक-चौक
भेड़ की पहन खाल, भेड़िये लुभाते हैं
संक्रमण-काल में हैं, हिंदी कवितायें आज
चुटकुले पढ़ कवि, ताली बजवाते हैं
(२)
कोई आके भर देगा, हीरे-मोती झोलियों में
कबसे भरम में है, जनता खड़ी हुई
कैसा है विकास यह, रोग का इलाज जब
कहीं पे भभूत कहीं, जादू की छड़ी हुई
और हाल ऐसा मेरे, देश के नेताओं का है
गिद्ध की निगाह जैसे, लाश पे गड़ी हुई
होते गर एक-दो तो, बात कोई करता मैं
लगता है कुंए में ही, भांग है पड़ी हुई
कितना भी काटो पर, फ़िर-फ़िर आते हैं
अपना ठिकाना नहीं, लेकिन दूसरों का वो
भावी और भूत सब, पल में बताते हैं
फ़िरते लगाये घात, गली-गली चौक-चौक
भेड़ की पहन खाल, भेड़िये लुभाते हैं
संक्रमण-काल में हैं, हिंदी कवितायें आज
चुटकुले पढ़ कवि, ताली बजवाते हैं
(२)
कोई आके भर देगा, हीरे-मोती झोलियों में
कबसे भरम में है, जनता खड़ी हुई
कैसा है विकास यह, रोग का इलाज जब
कहीं पे भभूत कहीं, जादू की छड़ी हुई
और हाल ऐसा मेरे, देश के नेताओं का है
गिद्ध की निगाह जैसे, लाश पे गड़ी हुई
होते गर एक-दो तो, बात कोई करता मैं
लगता है कुंए में ही, भांग है पड़ी हुई
20 comments:
बहुत सुन्दर और सटीक अभिवयक्ति है बधाई
और हाल ऐसा मेरे, देश के नेताओं का है
गिद्ध की निगाह जैसे, लाश पे गड़ी हुई
होते गर एक-दो तो, बात कोई करता मैं
लगता है कुंए में ही, भांग है पड़ी हुई
वाह वा रवि जी वाह...लाजवाब छंद...आप तो हर विधा में पारंगत हैं...बहुत ही कमाल के छंद...जय हो...
नीरज
वाह !बहुत खूब..kya baat hai..
Saarthak lekhni.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
संक्रमण-काल में हैं, हिंदी कवितायें आज
चुटकुले पढ़ कवि, ताली बजवाते हैं
वाह! कितना सच कह गये. दोनों जबरदस्त!
बहुत सुन्दर. छंद बहुत ही बढ़िया लगे.
सच आज के हालात कहते हुए छंद। बहुत सुन्दर जी।
बधाई !
भाई सबसे पहले तो आपको हासिल मुशायरा का विजेता घोषित करने पर बहुत बहुत बधाई इस नाचीज के तरह से कुबूल की जाए... हुजूर छंद की कुछ बारीकियाँ हमें भी सीखा दो... कितने संवेदनशील हो अमा यार .... उफ्फ्फ्फ्फ़ जान लोगे क्या ऐसा लिख कर... मुबारका जी मुबारका...
अर्श
संक्रमण-काल में हैं, हिंदी कवितायें आज
चुटकुले पढ़ कवि, ताली बजवाते हैं
mam ki baat kah di aapne ...
चुटकुले पढ़ कवि, ताली बजवाते हैं
bahut achchhe Ravikabta ji..!
और हाल ऐसा मेरे, देश के नेताओं का है
गिद्ध की निगाह जैसे, लाश पे गड़ी हुई
wah bahut hi sunder chand
बहुत खुब लिखा आज के हालात पर.
गजब के छन्द हैं दोनों रवि भाई ख़ासतौर से-
संक्रमण-काल में हैं, हिंदी कवितायें आज
चुटकुले पढ़ कवि, ताली बजवाते हैं
बडे मार्के की बात कही है आपने. मैं इस सम्बन्ध मे ये कहना चाहता हूं कि कुछ हास्यकार कवि का लेबल लगाकर मंचों पर आ गये हैं. चूंकि कवि के साथ एक किस्म की पवित्रता आज भी जुडी हुई है ये लाफ्टर उसका प्रयोग करते है. इससे कवि और कविता दोनों की दुर्गति हो रही है. अब समय है कि ऐसे लोगों को अपने बीच से हटाया जाय. हालांकि हास्यकार या लाफ्टर होना कोई छोटी या बुरी बात नहीं है लेकिन कविता की पवित्रता की रक्षा के लिये ये वर्गीकरण ज़रूरी है. लोग आज भी कवि सम्मेलन सुनने आते है, जबकि वहां मिलता है हास्य कवि सम्मेलन के नाम पर लाफ्टर शो. गडबड ये होती है कि कवि/कविता की जैसी छवि ये लाफ़्टर बनायेंगे जनता की नज़र में तो वैसी ही छवि बनेगी न. अगर मेरी बात सही लगे तो समर्थन करें और बात आगे बढाने की कृपा करें.
सच इस कुँए में तो भंग ही पड़ी है ..अच्छी रचनाएँ ..!!
shukria.u tube par jakar aap meri aawaz mein sun sakte hain type kijiye latahaya poetess.
aapki rachana bahut sahi hai chutkule sunakar ............
वाह.. वाह रवि जी, वाह.. दोनों ही छंद बेहतरीन हैं.. वाह.
रविकांत जी
हासिल मुशायरा की बधाई तो गुरुदेव की पोस्ट पर अभी भी आपको और वीनस जी को दे आया हूँ...और अब आपकी कविता पढ़ कर खुश हो रहा हूँ..बधाई स्वीकार करे..
प्रकाश
बहूत पैने हैं रवि जी आपके छंद .......... लाजवाब लिखा है आज का सटीक चित्रण है
सच्ची बात - अभिनव तरीके से । आभार ।
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