दुख का कारण चाहे जो भी हो वह व्यक्त होना चाहता है। और व्यक्ति यदि सहृदय हो तो निश्चित रूप से वेदना काव्य/साहित्य का माध्यम चुनती है। पंत जी ने कहा है-
वियोगी होगा पहला कवि आह से उपजा होगा गान
उमड़कर आँखों से चुपचाप बही होगी कविता अनजान
वस्तुतः काव्य तो शुरू ही दुख से हुआ। तमसा-तट पर महर्षि बाल्मिकि का शोक ही श्लोक बन गया और इस तरह से संसार का पहला काव्य रचा गया। जीवन जब भी दुखों से भर जाए यह प्रयोग करने जैसा है। वेदना को शब्द दें। जल्दी ही आप इसका असर महसूस कर पाएँगे।
Thursday, September 11, 2008
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10 comments:
हम आपकी अगली पोस्ट का इंतज़ार करेंगे
वीनस केसरी
बहुत अच्छा लिखा है. स्वागत है आपका
'कुछ शब्द' इन्होने मुझे खींचा और मैं यहाँ तक आई
और इन कुछ शब्दों ने कमाल कर दिया ........
बिल्कुल सही है........दर्द ही गान बनते हैं
स्वागत है आपका।
कौन हैं आप? इसका उत्तर ढूँढने की प्रक्रिया में जो शब्द टकरा जाएं उन्हें लिपिबद्ध करते जाइए। ब्लॉग चल पड़ेगा। शुभकामनाएं।
word verification तत्काल हटा लें। यह फालतू है।
एक सही शुरुआत,बधाई हो .........
बहुत खूब!आपके तख्लीकी-सर्जनात्मक जज्बे को सलाम.
आप अच्छा काम कर रहे हैं.
फ़ुर्सत मिले तो हमारे भी दिन-रात देख लें...लिंक है:
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/
http://hamzabaan.blogspot.com/
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वियोगी होगा पहला कवि आह से उपजा होगा गान
उमड़कर आँखों से चुपचाप बही होगी कविता अनजान
कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है । –रामधारी सिंह दिनकर
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.
नए चिट्ठे का स्वागत है. निरंतरता बनाए रखें.खूब लिखें,अच्छा लिखें.
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है बहुत सटीक लिखते हैं समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें
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