दुख सजाये हैं गले में जबसे माला की तरह
पीछे-पीछे सुख चले आये हैं छाया की तरह
रोज सूली पर इन्हे दुनिया चढ़ाती है मगर
ख्वाब हैं मेरे कि जी उठते हैं ईसा की तरह
सामने होता है जब वो खुद को देता हूं मिटा
मैं समंदर से सदा मिलता हूं दरिया की तरह
वो तुम्हें जीवन के असली मायने सिखलायेंगें
तुम बुजुर्गों को समझना पाठशाला की तरह
आ भी जाओ राम बनकर राह पर आंखें लगी
जिंदगी पत्थर हुई शापित अहिल्या की तरह
पीछे-पीछे सुख चले आये हैं छाया की तरह
रोज सूली पर इन्हे दुनिया चढ़ाती है मगर
ख्वाब हैं मेरे कि जी उठते हैं ईसा की तरह
सामने होता है जब वो खुद को देता हूं मिटा
मैं समंदर से सदा मिलता हूं दरिया की तरह
वो तुम्हें जीवन के असली मायने सिखलायेंगें
तुम बुजुर्गों को समझना पाठशाला की तरह
आ भी जाओ राम बनकर राह पर आंखें लगी
जिंदगी पत्थर हुई शापित अहिल्या की तरह