घर हमारे कभी यार आते नहीं
आ भी जाएं तो नजरें मिलाते नहीं
प्रीत की जोत दिल में जगाते अगर
आप यूं बस्तियों को जलाते नहीं
आज के आदमी को लगा रोग क्या
ना हंसाती खुशी गम रुलाते नहीं
सामने साग हो जो विदुर का रखा
कृष्ण को भोग छप्पन सुहाते नहीं
चांद में दाग उनको ही आये नजर
चांदनी में कभी जो नहाते नहीं
सूख जाता समंदर तिरी याद का
हम जो आंखों से दरिया बहाते नहीं
शाख से टूटकर जैसे पत्ते गिरें
पल भी जीवन के फिर लौट आते नहीं
जब तलक प्रेम की नाव में ना चढ़ो
दर्द की ये नदी पार पाते नहीं
कैसे करता भरोसा खुदा पर कोई
वो अगर रुख से परदा हटाते नहीं
वो भी दोषी हैं जिनको पता तो है पर
नाम कातिल का फिर भी बताते नहीं
आ भी जाएं तो नजरें मिलाते नहीं
प्रीत की जोत दिल में जगाते अगर
आप यूं बस्तियों को जलाते नहीं
आज के आदमी को लगा रोग क्या
ना हंसाती खुशी गम रुलाते नहीं
सामने साग हो जो विदुर का रखा
कृष्ण को भोग छप्पन सुहाते नहीं
चांद में दाग उनको ही आये नजर
चांदनी में कभी जो नहाते नहीं
सूख जाता समंदर तिरी याद का
हम जो आंखों से दरिया बहाते नहीं
शाख से टूटकर जैसे पत्ते गिरें
पल भी जीवन के फिर लौट आते नहीं
जब तलक प्रेम की नाव में ना चढ़ो
दर्द की ये नदी पार पाते नहीं
कैसे करता भरोसा खुदा पर कोई
वो अगर रुख से परदा हटाते नहीं
वो भी दोषी हैं जिनको पता तो है पर
नाम कातिल का फिर भी बताते नहीं