यूं है मां के दुलार की बातें
जेठ में ज्यूं फुहार की बातें
वेद कुरआन बाइबल गीता
सब में है सिर्फ़ प्यार की बातें
है चमन के लिये जरूरी ये
साथ गुल के हो खार की बातें
खुश न हो सुन चुनाव के वादे
भूल रंगे सियार की बातें
प्रेम में तो दूई नहीं होता
झूठ है जीत हार की बातें
होश किसके उड़ा न देती हैं
फ़ागुनी मधु-बयार की बातें
ना ढहें मज़हबी दिवारें गर
सच न होंगी सुधार की बातें
इश्क में दिल जो टूट जाये तो
हैं रुलातीं बहार की बातें
रख किताबें न मेज़ पर केवल
खोज कुछ उनमें सार की बातें
(२१२२ १२१२ २२)
जेठ में ज्यूं फुहार की बातें
वेद कुरआन बाइबल गीता
सब में है सिर्फ़ प्यार की बातें
है चमन के लिये जरूरी ये
साथ गुल के हो खार की बातें
खुश न हो सुन चुनाव के वादे
भूल रंगे सियार की बातें
प्रेम में तो दूई नहीं होता
झूठ है जीत हार की बातें
होश किसके उड़ा न देती हैं
फ़ागुनी मधु-बयार की बातें
ना ढहें मज़हबी दिवारें गर
सच न होंगी सुधार की बातें
इश्क में दिल जो टूट जाये तो
हैं रुलातीं बहार की बातें
रख किताबें न मेज़ पर केवल
खोज कुछ उनमें सार की बातें
(२१२२ १२१२ २२)
12 comments:
बेहतरीन ग़ज़ल लिखी है भाई। और दो शेर तो कुछ ज्यादा ही भाए।
ना ढहें मज़हबी दिवारें गर
सच न होंगी सुधार की बातें
सच को सच्चे शब्द।
रख किताबें न मेज़ पर केवल
खोज कुछ उनमें सार की बातें
वाह क्या बात है।
रवि भाई...गुरुदेव के आर्शीवाद का फल साफ़ नज़र आ रहा है...क्या खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने हर शेर लाजवाब है और खास तौर पर ये तो कमाल के हैं :याने मुझे बहुत भाये...
है चमन के लिये जरूरी ये
साथ गुल के हो खार की बातें
ना ढहें मज़हबी दिवारें गर
सच न होंगी सुधार की बातें
रख किताबें न मेज़ पर केवल
खोज कुछ उनमें सार की बातें
एक बार फिर दाद कबूल फरमाएं...
नीरज
यूं है मां के दुलार की बातें
जेठ में ज्यूं फुहार की बातें
वेद कुरआन बाइबल गीता
सब में है सिर्फ़ प्यार की बातें
sahi faramaaya
WAAH RAVI BHAAEE BAHOT KHUB KAHI AAPNE YE GAZAL... MATALAA KE LIYE AAPKO KIS TARAH SE BADHAAYEE DUN YE SAMAJH NAHI PAA RAHAA HUN... BAHOT HI SHAANDAAR BAN PADAA HAI...
KUCHH SHE'R NAHAK HI NAZUKI SE HAI TO KUCHH KE TEWAR ME TEWAR ME JAISE MOHABBAT CHHUPI HO JAISE...
KOI SHER NAHI LIKH RAHAA KARAN KE DUSARE SE ANYAY HOGAA...
MAGAR GURUDEV KE AASHIRVAAD SE NAHAK HI MADHOSH HO JAANE WAALI GAZAL BAN GAYEE HAI...
ARSH
ये बात कोई आज की पीढ़ी को बताये कि प्रेम में तो दो होता ही नहीं है फिर प्रेम में हार जीत कैसी । अच्छा रंग चढ़ रहा है भई शादी के बाद ।
क्या बात है! बहुत प्यारी ग़ज़ल है.
वेद कुरआन बाइबल गीता
सब में है सिर्फ़ प्यार की बातें
बहुत खूब....!!...अगर इस प्यार की भाषा को हम समझ लें तो जीना आसां न हो जाये.....?
है चमन के लिये जरूरी ये
साथ गुल के हो खार की बातें
लाजवाब........!! खार न हों तो फूल कोई मायने नहीं रखते.....!!
ye Subir ji kiski aur kaisi shadi ki baat kar rahe hain.....??
वाह रवि भाई...गज़ब ढ़ाती हुई ग़ज़ल....
आखिरी शेर सबसे ज्यादा भाया
और हरकीरत मैम...गुरूजी अपने इस अद्भुत नौजवान शायर रवि जी की शादी की बात कर रहे थे...अभी तो हनिमून पिरियड चल रहा है रवि भाई का और कलम की निखार देखते ही बनती है
भाई रवि शादी हुई हो तुंरत तो उसका असर तो होना ही है आपकी गजल तो तेवर लिए होती है ये कौन रोग लगा बैठे ???
ये गजल भी अच्छी लगी ख़ास कर ये शेर
वेद कुरआन बाइबल गीता
सब में है सिर्फ़ प्यार की बातें
रख किताबें न मेज़ पर केवल
खोज कुछ उनमें सार की बातें
वीनस केसरी
पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ कि आपको मेरी शायरी पसंद आई!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत ही अच्छा लगा!बहुत सुंदर लिखा है आपने!
मेरे इन ब्लोगों पर आपका स्वागत है-
http://khanamasala.blogspot.com
http://urmi-z-unique.blogspot.com
... उम्दा गजल, प्रसंशनीय व प्रभावशाली है।
... उम्दा गजल, प्रसंशनीय व प्रभावशाली है।
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