(फोटो गूगल सर्च से साभार)
यादों का भींगा मौसम है
फिर से आंखों में शबनम है
पूजाघर की घंटी जैसी
तेरी पायल की छम छम है
चोर पुलिस नेता या डाकू
कौन यहां अब किससे कम है
मंदिर मस्जिद फिर लड़ बैठे
गलियों में पसरा मातम है
केवल कुर्सी के चक्कर में
ये दुनियाभर की तिकड़म है
छूट गये सब खेल खिलौने
बच्चों के हाथों में बम है
(’तेरा तुझको अर्पण...’ की तर्ज पर गुरूदेव श्री पंकज सुबीर जी को नये साल पर समर्पित)
यादों का भींगा मौसम है
फिर से आंखों में शबनम है
पूजाघर की घंटी जैसी
तेरी पायल की छम छम है
चोर पुलिस नेता या डाकू
कौन यहां अब किससे कम है
मंदिर मस्जिद फिर लड़ बैठे
गलियों में पसरा मातम है
केवल कुर्सी के चक्कर में
ये दुनियाभर की तिकड़म है
छूट गये सब खेल खिलौने
बच्चों के हाथों में बम है
(’तेरा तुझको अर्पण...’ की तर्ज पर गुरूदेव श्री पंकज सुबीर जी को नये साल पर समर्पित)
9 comments:
बहोत खूब लिखा है आपने गुरुदेव को मेरा भी प्रणाम कहियेगा...
अर्श
आपको नव वर्ष की शुभकामनाएं आपकी ग़ज़ल बहुत खूब है। बधाई।
क्या खूब कही है...रवि जी,भई वाह और नये साल की आपको ढ़ेरों शुभकामनायें.ईश्वर करे आपके सपनों को संसार मिले और आपकी लेखनी नित यूं ही नये करतब दिखाती रहे
अत्यन्त सुन्दर! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
"छूट गये सब खेल खिलौने
बच्चों के हाथों में बम है"
प्रासंगिक पंक्तियां, प्यारी गजल. धन्यवाद.
पूजाघर की घंटी जैसी
तेरी पायल की छम छम है
'ये शब्द कुछ ख़ास लगे.."
regards
नये साल की शुभकामनायें । ये साल आपका अकेले जीवन का अंतिम वर्ष था आने वाला साल आपको एक नया उपहार देने जा रहा है । इसलिये ये साल आपके लिये खास साल है । ईश्वर से प्रार्थना है कि 2009 का वो खास उपहार भी आपकी ग़ज़लों की ही तरह हो । आपका ब्लाग अब बहुत अच्छा दिखने लगा है फोंट बड़े होने के कारण बेहतर हो गया है । रंग संयोजन भी अच्छा है ।
छूट गये सब खेल खिलौने
बच्चों के हाथों में बम है
...बहुत सुन्दर. दिल को छूने वाली पंक्तियां !! कभी हमारे शब्द-सृजन (www.kkyadav.blogspot.com) पर भी आयें.
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है भाई... भुजभेंट स्वीकारो... wah...
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