(चित्र गूगल से साभार)
इक तो टूटा छप्पर तिस पर मौसम भी बरसाती है
प्यास बुझानेवाली बदली अब तो दिल दहलाती है
याद तुम्हारी चिड़िया जैसी दिल मेरा है नीड़ हुआ
सारा दिन गायब रहती पर शाम ढले आ जाती है
पिघला ना पाओगे इनको जितना जप, तप होम करो
देव सभी हैं पत्थर के, पत्थर की इनकी छाती है
नींद न टूटे जब राजा की आहों से, कोलाहल से
व्याकुल होकर जनता तब महलों में आग लगाती है
धन दौलत चाहे मत देना, देना संस्कार उनको
बच्चों की खातिर पुरखों की ये ही असली थाती है
इक तो टूटा छप्पर तिस पर मौसम भी बरसाती है
प्यास बुझानेवाली बदली अब तो दिल दहलाती है
याद तुम्हारी चिड़िया जैसी दिल मेरा है नीड़ हुआ
सारा दिन गायब रहती पर शाम ढले आ जाती है
पिघला ना पाओगे इनको जितना जप, तप होम करो
देव सभी हैं पत्थर के, पत्थर की इनकी छाती है
नींद न टूटे जब राजा की आहों से, कोलाहल से
व्याकुल होकर जनता तब महलों में आग लगाती है
धन दौलत चाहे मत देना, देना संस्कार उनको
बच्चों की खातिर पुरखों की ये ही असली थाती है
15 comments:
वाकई आग लगाने वाला शेर कहा है आपने। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
गजब-गजब-गजब!!
याद तुम्हारी चिड़िया जैसी दिल मेरा है नीड़ हुआ
सारा दिन गायब रहती पर शाम ढले आ जाती है
-क्या कहने भई..हर शेर की अपनी शान है..बधाई.
धन दौलत चाहे मत देना, देना संस्कार उनको
बच्चों की खातिर पुरखों की ये ही असली थाती है
बहुत ही सुंदर लगे आप के सारे शॆर.
धन्यवाद
dev sabhi hain patthar ke patthar ki inki chhati hai
WAAH
WAAH
WAAH
laakh laakh badhaai !
याद तुम्हारी चिड़िया जैसी दिल मेरा है नीड़ हुआ
सारा दिन गायब रहती पर शाम ढले आ जाती है
नींद न टूटे जब राजा की आहों से, कोलाहल से
व्याकुल होकर जनता तब महलों में आग लगाती है
वाह रवि जी वाह...आपके इन दो शेरों ने दिल लूट लिया...मुझे उम्मीद है गुरुदेव का सीना ऐसे होनहार शिष्य ने जरूर चौडा कर दिया होगा...लिखते रहें...
नीरज
गुरु भाई रवि आपने क्या लिखा है शायद ये आपको पता नहीं किस शे'र को सामने रखूं और कहूँ के ये सबसे खुबसूरत है ,ऐसा करना अनुचित होगा हर शे'र का अपना ही दम है कितने खिले खिले से लग रहे है सारे के सारे शे'र बहोत ही खूबसूरती से कही है आपने और हर शे'र की परवरिश दिख रही है .... बहोत बहोत बधाई भाई आपको...
अर्श
नींद न टूटे जब राजा की आहों से, कोलाहल से
व्याकुल होकर जनता तब महलों में आग लगाती है
सच कहा। आप बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल लिखते है।
बहुत अच्छे ढंग से कहते हो भाई.... बहुत, बहुत, बहुत बधाई...
याद तुम्हारी चिड़िया जैसी दिल मेरा है नीड़ हुआ
सारा दिन गायब रहती पर शाम ढले आ जाती है
रवि भाई
दिल को खुश कर देने वाली गजल है
आज तो आपको पढ़ कर दिल बाग़ बाग़ हो गया
वीनस केसरी
किसी एक शेर को सर्वोत्तम कहना, दूसरे शरो से नाइंसाफी हो जायेगी। हर शेर बेहतरीन, हर शेर में कूछ खास...! बहुत ही अच्छे...! सधी लेखनी है आपकी..!
रविकांत इस ग़ज़ल में तो सब कुछ आपका ही है जस का तस फिर भी ये कहना कि इसे मैंने ठीक किया है ये आपका बड़प्पन है । महलों वाला शेर तो शेरीयत से भरा है ।
याद तुम्हारी चिड़िया जैसी दिल मेरा है नीड़ हुआ
सारा दिन गायब रहती पर शाम ढले आ जाती है
मुझे ये खयाल सबसे अधिक पसंद आया।
धन दौलत चाहे मत देना, देना संस्कार उनको
बच्चों की खातिर पुरखों की ये ही असली थाती है
रवि कान्त जी............ बहूत ही अच्छी ग़ज़ल कही है............ गुरुदेव ने भी अपना आर्शीवाद दिया है. सब शेर कजवाब हैं पर मुझे ये दिल की aawaaz लगी
bahut sundar ...khastaur par "dil mera hai need hua ". saral aur sundar rachna .badhai :)
उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़......इस अद्भुत ग़ज़ल को पढ़ने इतने विलंब से आ रहा हूँ मैं!!!!!!!!!
क्या शेर कहते हो रवि मियां
जबरदस्त !
"याद तुम्हारी चिड़िया जैसी दिल मेरा है नीड़ हुआ
सारा दिन गायब रहती पर शाम ढले आ जाती है"
हायssssssssss रे !
और फिर तीसरे और चौथे शेर पे तो जितनी दाद दूँ, कम है।
सुना लखनऊ गये थे...
Post a Comment