Saturday, March 7, 2009

योगिनि तुम सप्तसिंधु का सुगंधित जल उठाओ

इस पोस्ट की पृष्ठभूमि में मूलतः दो कारण हैं- एक तो संदर्भ और दूसरा इस कविता के मूल रचनाकार का इंटरनेट पर सक्रिय नहीं रहना। संदर्भ तो स्पष्ट है और जहाँ तक अमित जी की बात है जो कि इसके रचयिता हैं, उन्होने इसे किसी अवसर विशेष पर लिखा था। वैसे अमित से मिलने का किस्सा भी कम रोचक नहीं है, कभी बाद में सुनाऊँगा। मुझे अच्छी लगी थी ये कविता इसलिये अमित जी की सहमति से ही आपके समक्ष रखता हूँ। पोस्ट स्मृति पर आधारित है इसलिये कहीं कहीं कुछ छूट गया है (क्षमाप्रार्थी हूँ)

योगिनि तुम सप्तसिंधु का सुगंधित जल उठाओ

योगिनि तुम सप्तसिंधु का सुगंधित जल उठाओ
दे विदाई तुम निशा को मीत मंगल गीत गाओ

भानु ने खोला पिटारा
रश्मियों का दान देकर
कर दिया उपकार तुमपर
मोहजन अज्ञान लेकर

उठ सखी ऊषा पुकारे, उसको कुशल अपनी सुनाओ
योगिनि तुम सप्तसिंधु का सुगंधित जल उठाओ

जानकी सब जानकर
अपमान क्यों सहती रही
द्रौपदी की चीर-गंगा
क्यों पंक में बहती रही

था गर्व किसका? ध्रुवस्वामिनि
वाणिज्य की क्यों वस्तु थी
खुद पूछ क्यों अबला सरीखे
उच्चारणों से त्रस्त थी

अब छोड़ कहना नाथ खुद काभार तो खुद ही उठाओ
योगिनि तुम सप्तसिंधु का सुगंधित जल उठाओ

तेरा रंग क्या तेरा रूप क्या
हर रूप में जाती छली
कोई पुत्र तुझको छल रहा
सहभागिनि भी क्या भली

(कुछ पंक्तियाँ छूट रही हैं)
XXXXXXXXXXXX
XXXXXXXXXXXX
योगिनि तुम सप्तसिंधु का सुगंधित जल उठाओ

रज्जुओं के कर्म से
पत्थर सभी टूटे पड़े
देख कैसी शुभ ये वेला
लाख अवसर हैं खड़े

अब नहीं अवलंब कोई
चाहती तू और है
तू शिखा है दीप की
वो चंद्रिका कोई और है

तू दृढ़ सरीखी वज्र सी पुरूषेन्द्र को भी तो बताओ
योगिनि तुम सप्तसिंधु का सुगंधित जल उठाओ

6 comments:

शोभा said...

रज्जुओं के कर्म से
पत्थर सभी टूटे पड़े
देख कैसी शुभ ये वेला
लाख अवसर हैं खड़े

अब नहीं अवलंब कोई
चाहती तू और है
तू शिखा है दीप की
वो चंद्रिका कोई और है
रवि जी,
बहुत सुन्दर कविता का चयन किया है आपने। पढ़कर आनन्द आगया। आभार।

गौतम राजऋषि said...

ये तो अद्‍भुत रचना है रवि जी...वाह
अमित जी का पूरा परिचय तो दे देते

Vinay said...

रंगों के त्योहार होली पर आपको एवं आपके समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ

---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें

Mumukshh Ki Rachanain said...

सुन्दर भावपूर्ण रचना पढ़वाने के लिये हम आपके आभारी हैं.

अब तो अमित जी का पूर्ण परिचय तो करा दें.

होली के इस शुभ अवसर पर आपको हमारी हार्दिक शुभकामनाये.

योगेन्द्र मौदगिल said...

Wah....
होली मुबारक...

योगेन्द्र मौदगिल said...

Wah....
होली मुबारक...