अनेकानेक अमर गीतों के रचयिता श्री राकेश खण्डेलवाल
जी की पुस्तक "अंधेरी रात का सूरज" का विमोचन ११ अक्टूबर को होने जा रहा है। गुरू जी ने इस सप्ताह को उन्हे समर्पित करने का आह्वान किया है। इधर गौतम जी कह रहे हैं और बात भी सही है कि मैंने कई दिनों से कुछ पोस्ट नहीं किया है। तो मै एक पंथ दो काज की तर्ज पर राकेश जी को शब्दों की एक छोटी सी भेंट समर्पित करता हूँ। पहले सोच रहा था उनकी कोई कविता/गीत लगाऊँ पर जब उनके ब्लाग पर गया तो शीघ्र ही मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया। इतनी सारी मोहक रचनाएँ कि आखिर किसे लिया जाए? भर्तृहरि की पंक्तियाँ स्मरण हो आयीं-
जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धा: कवीश्वरा:।जी की पुस्तक "अंधेरी रात का सूरज" का विमोचन ११ अक्टूबर को होने जा रहा है। गुरू जी ने इस सप्ताह को उन्हे समर्पित करने का आह्वान किया है। इधर गौतम जी कह रहे हैं और बात भी सही है कि मैंने कई दिनों से कुछ पोस्ट नहीं किया है। तो मै एक पंथ दो काज की तर्ज पर राकेश जी को शब्दों की एक छोटी सी भेंट समर्पित करता हूँ। पहले सोच रहा था उनकी कोई कविता/गीत लगाऊँ पर जब उनके ब्लाग पर गया तो शीघ्र ही मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया। इतनी सारी मोहक रचनाएँ कि आखिर किसे लिया जाए? भर्तृहरि की पंक्तियाँ स्मरण हो आयीं-
नास्ति येषां यश:काये जरामरणजं भयम्||
खिल रही कलियाँ हृदय में,
प्रीत का मधुमास आया
पाकर मृदु-स्पर्श तुम्हारा
झंकृत मेरे मन की वीणा
भेद तुम्ही से ज्ञात हुआ ये
गीतों की जननि है पीड़ा
धरती के फ़िर आलिंगन में
बंधन को आकाश आया
शब्द-साधना से निरंतर
अलख जो तुमने जगाया
दिव्यता की इक झलक से
महक उठी मिट्टी की काया
दीक्षा लेने द्वार तुम्हारे
चलकर खुद संन्यास आया
5 comments:
दीक्षा लेने द्वार तुम्हारे
चलकर खुद संन्यास आया
' great words with wondeful presentation'
regards
राकेश जी को उनकी ही शैली में शुभकामनायें देकर आपने अनूठा प्रयोग किया है आपको बधाई ।
पंकज सुबीर
गीत सम्राट राकेश जी के लिए कुछ भी कहना सूरज को रोशनी दिखाने जैसा है. आपके उदगार पसंद आये.
बहुत खुब रवि भाई...अपकी शैली दिल को छू गयी.कृपया बराबर लिखते रहें
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